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अन्य जिलों की तरह जिला सूरजपुर में भी आरटीईRTE कानून के तहत प्रवेशित निर्धन छात्रों के नाम पर कई प्राइवेट स्कूलों द्वारा प्रतिवर्ष करोड़ो का घोटाला


कोरिया टाईम्स ब्यूरो नंदू यादव 

सूरजपुर- यदि आधार नम्बर को आधार बनाकर साफ्टवेयर के माध्यम से जांच की जाए तो कई निजी स्कूलों में आरटीई कानून के नाम पर प्रतिवर्ष लाखों रुपए का वारा न्यारा निर्धन छात्रों के नाम पर किया जा रहा है। यदि सही जांच हो जाए जिला सूरजपुर में दुर्ग और रायपुर से भी बड़ा घोटाला सामने आएगा।इस बावत भारतीय जनता पार्टी के युवा नेता, वरिष्ठ कार्यकर्ता, शक्ति केंद्र अध्यक्ष एवं पूर्व जिला संयोजक अनूप दुबे ने जनदर्शन में कलेक्टर सूरजपुर से शिकायत करते हुए उल्लेख किया कि जिला-सूरजपुर के सभी विकास खण्डों में लगभग चार सौ प्राइवेट (निजी) स्कूल संचालित हो रहे हैं पर क्या आपको पता है कि कई ऐसे भी छोटे, बड़े, नामी गिरामी स्कूल हैं, जो पिछले दस वर्षो से आरटीई के नियमों की धज्जियाँ उड़ाते हुए करोड़ों रुपए की अवैध कमाई कर रहे हैं। कई निजी स्कूल क्षेत्र में संचालित हैं जो सिर्फ काग़ज़ों में चल रहे हैं, जहाँ ना कोई स्कूल है, ना टीचर, ना स्टूडेंट फिर भी स्कूल चल रहा है..आखिर क्यों और कैसे? इसमें बहुत बड़ा खेला है.? क्योंकि इनको यहाँ से मोटी कमाई मिलती है। कई स्कूल हैं जहाँ बच्चों के नाम तो दर्ज हैं पर वे सभी बच्चे किसी अन्य सरकारी या अन्य प्राइवेट स्कूल या अन्य संस्थानों में पढ़ाई कर रहे हैं। आरटीई RTE कानून के तहत निर्धन छात्रों को मिलने वाली सम्पूर्ण राशि, गणवेश, छात्रवृत्ति को प्रवेशित दिखाकर मिलीभगत कर प्रतिवर्ष लाखों-करोड़ों का व्यारा-न्यारा किया जा रहा है, इस अवैध कार्य व शासन के साथ धोखाधड़ी में कुच्छ निजी स्कूलों के साथ तंत्र से जुड़े कई लोग भी शामिल हैं। कई तो सरकार द्वारा आरटीई के तहत पढ़ रहे गरीब बच्चों को सुविधा प्रदान कर ,सुसंगत नियम का पालन करते भी मिलेंगे, परन्तु अधिकांश आरटीई के तहत प्राप्त सहायता राशि को अजगर की भांति निगल जा रहें हैं वह उनके भ्रष्ट तरीके से अर्जित ईजी व मोटी कमाई का जरिया बन गया है। 

क्या है आरटीई का नियम, इसमें छात्र को क्या क्या मिलता है ..? 

गरीब तबके के बच्चों को अच्छी शिक्षा उपलब्ध कराने के उद्देश्य से शिक्षा के अधिकार योजना का शुभारंभ सन 2009 से किया गया,इसके तहत गरीब तबके के बच्चों को नि:शुल्क शिक्षा, गणवेश एवं पुस्तकों की उपलब्धता करवाए जाने के सख्त नियम संसद द्वारा पारित किए गए।

आरटीई के तहत एडमिशन लेने वाले बच्चों की फीस शासन देती है,जो अधिकतम सात हजार रुपए या स्कूल की निर्धारित फीस, इनमें से जो भी कम हो का निर्धारण किया जाता है। इसके अलावा उनकी काॅपी-किताब और गणवेश का खर्च भी शासन मद से ही वहन किया जाता है।अब शासन को चाहिए कि वह निष्पक्ष न्यायिक एजेंसियों से नवतकनीक का उपयोग करते हुए इस लोकचर्चित विषय की विस्तृत व सघन जांच कराए तो शासकीय राशि के गबन का बहुत बड़ा स्केंडल जनता के सामने आ सकेगा,

जिसको जानना सूरजपुर की जनता का अधिकार है व निष्पक्ष जांच व उसपर विधि अनुरूप कार्यवाही शासन का दायित्व है। उक्त शिकायत की कॉपी आवश्यक कार्रवाई हेतु माननीय मुख्यमंत्री छत्तीसगढ़ शासन, मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव को भी प्रेषित कर दी गई है । भाजपा के युवा नेता अनूप दुबे ने कहा कि जांच समिति बनने के बाद कई प्रमाण हमारे द्वारा भी उपलब्ध करवाया जाएगा। शासन प्रशासन द्वारा सुरक्षा की गारंटी देने पर कई लोग सामने आकर प्रमाण देने को तैयार है। युवा नेता अनूप दुबे ने इस मामले में उच्चस्तरीय जांच की मांग की है।

अनूप दुबे, ग्राम~ रामानुजनगर (श्रीनगर) जिला~ सूरजपुर (छ ग)