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स्कूल को मरम्मत के लिए मिला 2 लाख रुपए, फिर भी स्कूल के सभी कक्ष में टपक रहा पानी

स्कूल के हेड मास्टर ने कहा छत का नहीं कराया मरम्मत, कुछ राशि बाकी है पूरा नही मिला है।

कोरिया टाईम्स ब्यूरो नंदू यादव 

सुरजपुर। जिले के राजनीतिक गढ़ कहे जाने वाले रामानुजननगर की शिक्षा विभाग की व्यवस्था चरमराई हुई है। स्कूल की हालत दयनीय, विकास खंड के स्कूलों में मरम्मत के नाम पर आए राशि का गबन स्कूलों द्वारा विकासखंड शिक्षा अधिकारी खंड स्रोत अधिकारी के शह पर राशि गमन हुआ है।
 इसी कड़ी में रामानुजनगर विकासखंड के मुख्यालय से लगे हुए ग्राम पंचायत पियुरी के शासकीय प्राथमिक शाला खुटहनपारा पिवरी जिसका संकुल केंद्र पीवरी है। इस स्कूल में बच्चों की दर्ज संख्या 39 है इस स्कूल को वर्ष 2023 - 24 में साला भवन के मरम्मद के लिए मुख्यमंत्री जतन योजना तहत दो लाख रुपए की राशि का स्वीकृति प्रदान किया गया था। जिसका निर्माण एजेंसी स्कूल प्रबंधन समिति को बनाया गया है। स्कूल का मरम्मद 1 वर्ष पूर्व किया गया है। पड़ताल में पाया कि स्कूल में बच्चों के पढ़ने हेतु दो कक्ष और एक ब्रांडा है। दोनों कक्षा के छप्पर से पानी टपक रहा है। बच्चे ब्रांडा में बैठकर शिक्षा ले रहे है। जिसके एक कोना में भी पानी की बूंदे छप्पर से गिर रहा था। साथ ही स्कूल के छत पर पुट्टी किया गया है वह भी फट कर गिर रहा है। हमने इस संबंध में स्कूल के हेड मास्टर लक्ष्मी नारायण राजवाड़े से दो लाख रुपए के खर्च के संबंध में जानना चाहा तो इनके द्वारा कैमरा के सामने में बताए कि उक्त राशि का खर्च स्कूल फर्स के ढलाई और पुताई में कर दिया गया है। छत का ढलाई नहीं कराया गया है। आगे बताया कि मरम्मत का कुछ राशि कुछ अभी नही आया है।
जबकि भवन में आप देखेंगे की स्कूल भवन का पुट्टी एक कोर्ट में किया गया। स्कूल के फर्स में हुए गड्ढे को ढलाई किया गया है। इसके साथ ही बाकी की रकम कहां खर्च की गई है यह देख पाना मुश्किल है। स्थानीय ग्रामीणों ने बताया कि खर्च के संबंध में साला विकास समिति को पता नहीं है। ना ही साला विकास समिति के माध्यम से कार्य कराया गया है। स्कूल के शिक्षक के द्वारा खुद से काम कराया गया है। खर्च करने का दावा किया जा रहा है जो साथ सत्य नही है। दूसरे स्कूल के कई शिक्षकों ने दबी जबान में बताया कि स्कूल मरम्मत की राशि में सीएससी से लेकर विकासखंड शिक्षा अधिकारी का प्रतिशत गया हुआ है। कुल आवंटन का तीस प्रतिशत राशि अफसर के झोली में गया है। इस कारण मरम्मत की गुणवत्ता पर सवाल खड़े हो रहे हैं।आपको बता दें कि इससे पूर्व कई स्कूलों का छत टपकने के संबंध में मीडिया की सुर्खियां विकास खंड बटोरता रहता है।