कोरिया टाईम्स ब्यूरो नंदू यादव
रायपुर। छत्तीसगढ़ के पूर्व डिप्टी CM टीएस सिंहदेव ने कहा है कि, नगरनार प्लांट को NMDC की पैरेंट बॉडी से डि-लिंक कर दिया गया है। ऐसे में अब ये प्राइवेट सेक्टर में जा सकता है। केंद्र और राज्य की भाजपा सरकार ने मिल कर छत्तीसगढ़ के साथ बहुत बड़ा धोखा किया है।
सिंहदेव के एनएमडीसी प्लांट को प्राइवेट हाथों में बेचे जाने को लेकर प्रदेश के उद्योग मंत्री लखनलाल देवांगन ने दैनिक भास्कर से कहा कि सरकार ने ऐसा कोई निर्णय नहीं लिया है। ऐसी कोई बात नहीं है। पता नहीं सिंहदेव ने ऐसा बयान क्यों दिया है।
पीछे के रास्ते से निजी क्षेत्र में दिया जा रहा
सिंहदेव ने कहा कि केंद्र सरकार छत्तीसगढ़ की जनता और बस्तर के आदिवासियों के साथ बड़ा धोखा कर रही है। पहले नौकरी के लिए आश्वासन दिया गया था। अब इसे पीछे के रास्ते से निजी क्षेत्र में दिया जा रहा है। ये रवैया सरकार का गलत है।
3 अक्टूबर 2023 को PM मोदी ने स्टील प्लांट का उद्घाटन किया। वादा किया था कि नगरनार स्टील प्लांट बस्तर के लोगों की संपत्ति है। उनके पास ही रहेगा। 19 अक्टूबर 2023 को केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने भी निजीकरण नहीं करने की बात कही थी।
सिंहदेव ने वीडियो जारी कर कहा कि नगरनार स्टील प्लांट को NMDC ने बनाया है। सेमी सेंट्रल गवर्नमेंट की स्कीम के तहत छत्तीसगढ़ सरकार ने जमीन अधिग्रहण कर स्टील प्लांट लगाने के लिए दिया। अब इसे डि-लिंक कर दिया गया है, 2 महीने के अंदर प्राइवेट सेक्टर में जा सकता है।
उद्योग मंत्री लखनलाल देवांगन ने सिंहदेव के आरोपों को खारिज किया है और कहा है कि ऐसा कोई फैसला नहीं लिया गया है।
विधानसभा और लोकसभा चुनाव में बना था मुद्दा
नगरनार प्लांट के निजीकरण का मुद्दा 2023 के विधानसभा और 2024 के लोकसभा चुनाव में जोर-शोर से उठा था। जहां राज्य और केंद्र के बीजेपी नेताओं ने कहा था कि, प्लांट को बेचने की प्रक्रिया नहीं की जाएगी। वहीं कांग्रेस बार-बार आरोप लगाते रही कि, इसे बीजेपी बेचना चाहती है।
कांग्रेस के पूर्व सीएम भूपेश बघेल ने कई मौकों पर निजीकरण पर आपत्ति जताते हुए प्रधानमंत्री को पत्र भी लिखा था। 21 फरवरी 2021 को प्रधानमंत्री के साथ नीति आयोग की बैठक में राज्य सरकार को प्लांट के संचालन की जिम्मेदारी लेने की पेशकश भी की थी।
क्यों हो रही है चर्चा
केंद्र सरकार ने नगरनार स्टील प्लांट को पैरेंट कंपनी NMDC से डि-मर्जर कर दिया गया है। इसकी प्रक्रिया 2020 में शुरू हुई थी, जिसका विरोध भी किया गया था। नगरनार स्टील प्लांट स्वतंत्र इकाई के रूप में काम कर रहा है। इससे कयास लगाए जा रहे हैं कि नगरनार स्टील प्लांट का निजीकरण हो सकता है।