Header Ads Widget

विज्ञापन हेतु संपर्क करें - श्री गुलशन कुमार मो.नं - 7879069737

पुलिस पिटाई से कवर्धा में प्रशांत साहू की मौत हुई, प्रशांत साहू की मौत की हों न्यायिक जांच- युवा कांग्रेस जिलाध्यक्ष राम सजीला यादव

कोरिया टाईम्स ब्यूरो नंदू यादव 

कांग्रेस व साहू समाज आगे नहीं आता तो दबा दिया जाता प्रशांत की हिरासत में मौत का मामला

कांग्रेस राजनीति नहीं, पीड़ितों के लिए लड़ रही है इंसाफ की लड़ाई 

कोरिया। प्रदेश के गृह मंत्री विजय शर्मा कह रहे हैं कि कांग्रेस लोहारीडीह मामले में राजनीति कर रही है। लेकिन सच तो ये है कि प्रशांत साहू की पुलिस हिरासत में मौत के बाद अगर कांग्रेस और साहू सामाज आगे नहीं आता तो संभवत: पुलिस और भाजपा की सरकार प्रशांत साहू की मौत को भी हाल के महिनों में बिरकोना के साहू समाज के सदस्य की संदिग्ध मौत की तरह आत्महत्या बताकर मामला को रफादफा कर देती। जिसकी आज तक न तो जांच का पता है और न ही एसआईटी रिपोर्ट का अतापता है मौत केवल एक पहेली बनकर रह गई है।

उक्त बातें युवा कांग्रेस कोरिया के जिलाध्यक्ष राम सजीला यादव ने जारी बयान में कहा कि प्रशांत साहू की पुलिस हिरासत में मौत के बाद से ही पुलिस मामले की लीपापोती में जुट गई थी। यही वजह है कि जिला जेल में प्रशांत की मौत के बाद बिना पंचनामा के शव को जिला अस्पताल के शव गृह में लाकर रख दिया गया था और पूरी तैयारी थी रातों रात शव को ठिकाने लगवा दिया जाए। लेकिन इसकी जानकारी एन मौके पर कांग्रेस व साहू समाज को मिल गई और पुलिस की बर्बरता, क्रूरता सामने आ गई। अब प्रदेश के गृह मंत्री जांच की बात कर रहे हैं। लेकिन समझ से परे है कि आखिर जांच किस बात की जा रही है। 

श्री राम सजीला यादव ने सवाल उठाते हुए कहा कि क्या लोहारीडीह आगजनी व हत्याकाण्ड में जांच के बाद ग्रामीणों की गिरफ्तारी की गई थी। उस समय तो पुलिस, ग्रामीण महिला, पुरूष युवाओं यहां तक नाबालिको तक को जानवारों की की तरह मारते पीटते और घसीटते गिरफ्तार कर रेंगाखार जंगल ले आई थी। जहां शराब के नशे में धुत्त होकर पुलिस के अधिकारियों व कर्मचारियों ने पूरी रात उनके साथ जीवलेवा पिटाई की। पुलिस की इसी पिटाई से गंभीर रूप से घायल ग्रामीण प्रशांत साहू की जिला जेल में मौत हो गई।

 श्री राम सजीला यादव ने कहा कि हकीकत ये है कि आज प्रदेश के गृह मंत्री लोगों के जवाब देने की स्थिति में नहीं है, उन्हें अपने मातहतों के कृत्यों पर विभाग के मुखिया होने के नाते प्रदेश की जनता से तथा पीडि़त परिवारों से माफी मांगते हुए पद से इस्तीफा दे देना चाहिए। तथा मामले के सभी दोषियों के खिलाफ वैधानिक कार्यवाही की जानी चाहिए।